WELCOME TO RAIPUR INTERNATIONAL FILM FESTIVAL
We are proud to announce the 3rd Raipur International film festival after the phenomenal response for the first two editions.
Chattisgarh is known for its culturally rich background and has given stalwarts to theater and film industry.Its for the same reason that we here at RIFF strive to achieve the cultural excellence passed on to us by our gurus.
This time RIFF would be focusing on young talent from across the country film makers who fail to raise resources for there ambitions but still are passionate enough to go ahead and fulfill there dream of becoming a filmmaker.
दोस्तों, मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि तीसरा रायपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल 12 दिसंबर से 18 दिसंबर तक होने जा रहा है। इस फेस्टीवल में हम छत्तीसगढ़ की पृष्ठभूमि और छत्तीसगढ़ में बनी फिल्मों के अलावा बहुत से ऐसी फिल्में दिखाने जा रहे हैं जिनका अपना विशेष महत्व है।
11 दिसम्बर से रायपुर मे प्रारंभ हो रहे दस दिवसीय थियेटर एपरिशियेशन कोर्स मे थियेटर की ख्यातिनाम हस्तियां बतायेंगी नाटक की बारिकियाँ देंगी व्यवहारिक ज्ञान राष्ट्रीय नाटंय विधालय NSD के सहयोग से रायपुर के वृंदावन हाल मे छत्तीसगढ फ़िल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी द्वारा
12 दिसम्बर को रायपुर इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में दानिश इक़बाल द्वारा निर्देशित फीचर फ़िल्म "साधो" का प्रदर्शन है छत्तीसगढ़ के जशपुरिया अंदाज़ में बनी फ़िल्म देहरादून, दिल्ली में प्रदर्शित हो चुकी है हरियाणा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में फ़िल्म को बेस्ट फ़िल्म जूरी अवार्ड और फ़िल्म के लीड एक्टर सुकुमार टुडू को बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला है रायपुर के बाद 17 दिसम्बर को खजुराहो इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में...
रायपुर में नाट्य और फिल्म उत्सव की एक और अच्छी पहल , फिल्म मैकिंग वर्कशाप ,सल्तनत “नाटक की प्रस्तुति
सुमेधा अग्रवाल के संयोजन में अग्रज नाट्य दल द्वारा रायपुर में पाँच दिवसीय फिल्म मैकिंग वर्कशाप के साथ शाम के समय दो दिनों तक नाट्य मंचन और फिर फ़िल्मों का प्रदर्शन संस्कृति विभाग परिसर में बने आडिटोरियम में रखा गया है । आज पहले दिन जबलपुर के कलाकारों ने संदीप पांडे द्वारा लिखित और निर्देशिक नाटक सल्तनत की प्रस्तुति की । एक बूढ़े व्यक्ति की मानसिकता जिसने बहुत मुश्किल से अपना घर बनाया है और जो अपने दोनो बेटों बहुओं के व्यवहार से दुखी है और अपने घर को अपनी सलत्नत समझता है के सपने को दर्शने वाली कहानी है । इस मनोवैज्ञानिक कथा में मनीष तिवारी ने बहुत ही अच्छा और प्रभावी अभिनय किया ।
सुबह से शाम तक चलने वाली इस फिल्म मैकिंग कार्यशाला का संचालन राहुल शंकल्या कर रहे हैं जो NSD और FTI पूना के पासआऊट हैं और मुम्बई में महत्वपूर्ण फिल्म निर्देशकों के साथ काम कर रहे हैं ।
इस पाँच दिवसीय आयोजन में रविवार 2 जून सुनील चिपडे के निर्देशन मे बिलासपुर के कलाकार वेंटिलेटर नाटक की प्रस्तुति करेंगे । समारोह में लेखनी स्वयं के अन्तर्गत आज राहुल सिंह ने अपनी कथा फूफाजी के अंशों का पाठ किया । कल रविवार के कहानीकार श्रध्दा थवाईत , सोमवार को लेखनी स्वयं में राजेश गनोदवाले तथा राहुल शंकलया द्वारा निर्देशित फिल्म मेरी निम्मो दिखाई जायेगी । मंगलवार 4 जून को संदीप पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म चौसर फ़िरंगी का प्रदर्शन होगा ।लेखनी स्वयं मे सुमेधा अग्रवाल चर्चा करेगी ।समारोह के अंतिम दिन 5 जून को शार्ट फिल्म का प्रदर्शन होगा । Read more.....
सबसे पहले दूसरों के सामने कविता मुझे हरिशंकर परसाई की वजह से पढ़ने मिली - विनोद कुमार शुक्ल
सबसे पहले दूसरों के सामने कविता मुझे परसाईजी ने पढ़वाई । जबलपुर के हितकारिणी स्कूल में नरेश सक्सेना , सोमदत्त श्रीबाल पांडे और मुझे कविता पढ़ने परसाईजी ने बुलाया । मै झिझक के साथ धीरे -धीरे कविता पढ रहा था पीछे से परसाईजी गुस्से मे कहा कि ज़ोर ज़ोर से कविता पढ़ो और मैने पहली बार मंच से कविता पाठ किया । कविता सुनने के बाद परसाईजी ने क्या कहा , पूछने पर विनोदजी ने कहा कि तुम्हारी कविता समझ में नही आती । वे हमेशा यही कहते की तुम्हारी कविता हमारे समय की कविता नही है , बाद के समय की कविता है । मुक्तिबोध तुमको पसंद करते हैं तो कुछ कहा ही नही जा सकता ।
ये बात देश के सुप्रसिद्ध कवि , उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल ने आपसी बातचीत में बताई ।
रायपुर में चल रहे नाट्य शिविर के समापन अवसर पर विनोदजी द्वारा लिखी गई कविताओ का दृश्य पाठ और उनकी कहानी का नाट्य मंचन के लिए उनसे बातचीत करने मै , सुभाष मिश्र , आनंद हर्षुल , पुंज प्रकाश और संतोष राजपूत से उनके घर गये तब विनोदजी ने अपने बचपन से लेकर अपनी रचना प्रकिया के बारे मे विस्तार से बातचीत की । Read more.....
संवेदनशील पत्रकार , कला समीक्षक राजेश गन्नोदवाले का रचना पाठ ,चौसर फ़िरंगी फिल्म का प्रदर्शन
रायपुर में चल रही फिल्म मैकिंग वर्कशाप के तीसरे दिन आज लेखक स्वयं श्रृखंला में संवेदनशील पत्रकार , कला समीक्षक , पर्यावरण प्रेमी राजेश गन्नोदवाले ने अपनी पत्रकारिता के अनुभव को साझा करते हुए एक पेड कटने की अंतरकथा और भीगती हुई नदी पर एक अलग अंदाज की लिखी अपनी कविता जो बनारस की गंगा और सिरपुर की महानदी को देखते हुए लिखी गई ,का पाठ किया । इसके पश्चात संदीप पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म चौसर फ़िरंगी का प्रदर्शन किया गया । जबलपुर से जुडे रंगमंच के कलाकारों और जबलपुर में फ़िल्माई गई चौसर फ़िरंगी एक नई कहानी , नये ट्रीटमेंट के साथ सामने आती है । Read more.....
सिनेमा ,रंगकर्म के व्यवहार और साहित्यिक चर्चा का पाँच दिवसीय सार्थक आयोजन
अग्रज संस्था , सुमेधा अग्रवाल , अरूण भांगे आदि के मिलेजुले प्रयास और संस्कृति विभाग की सहभागिता से संस्कृति विभाग के आडिटोरियम में पाँच दिवसीय फिल्म मैकिंग कार्यशाला राहुल शांकल्य की देखरेख मे हुई इसी के साथ मध्यप्रदेश में जबलपुर के कलाकार , निर्देशक राहुल शांकल्य और संदीप पांडे द्वारा निर्देशित दो फिल्मे “मेरी निम्मो “ और चौसर फ़िरंगी का प्रदर्शन हुआ ।पहले दिन संदीप पांडे द्वारा निर्देशित नाटक सल्तनत और दूसरे दिन अग्रज बिलासपुर द्वारा वेंटिलेटर नाटक की प्रस्तुति हुई ।
चौसर फ़िरंगी एक रात की कहानी है जो थोड़ी कसावट और तकनीकी दृष्टि से सुधार की माँग करती है । फिल्म में ज़्यादातर थियेटर के ऐक्टर हैं इस वजह से उनका अभिनय स्वाभाविक है । फिल्म में वह एलीमेंट नदारद है , जो बार- बार खोजकर फिल्म देखने के लिए प्रेरित करे । संदीप पांडे की इस फिल्म की ही तरह उनका नाटक सल्तनत है । जो एक बूढ़े असुरक्षित आदमी की मनोदशा , रात का स्वप्न है जो उसके पक्के मकान के रूप में बनी कथित संपत्ति है और यही उसकी सल्तनत है । इस नाटक में मनीषतिवारी , अनुदीप ठाकुर , प्रतीक पचौरी , शंकित दहायत ने बहुत अच्छा अभिनय किया है ।नाटक में स्वप्न और सच्चाई को दिखाने के लिए कुछ और प्रयोग करना होगा जिसकी बात हमने नाटक के डायरेक्टर संदीप पांडे से आपसी चर्चा में की है । Read more.....
रायपुर में चल रहे तीसरे रायपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन 13 दिसम्बर युवा फ़िल्मकारों और अच्छी फ़िल्मों के नाम रहा । दूसरे दिन की शुरुआत हुई संतोष राजपूत निर्देशित फिल्म बादशाह हद का खात्मा जबलपुर में बनी हसन मध्य प्रदेश से निकलकर पूरे देश में छा रही है शहादत हसन मंटो की कहानी पर आधारित मंटो की देशी रवायत और उस वक्त के भारत के माहौल पर जिस तरह मंटो ने कहानी लिखी उसकी एक सीधी रेखा है मंटो भारतीय हिंदी साहित्य उर्दू साहित्य का एक जाना पहचाना नाम है जिस की कहानियों का लगातार मंचन भी किया जा रहा है और उनकी कहानियों पर लगातार कई प्रकार के प्रयोग कर फिल्मों का निर्माण भी किया जा रहा है कहानी को चुनना निर्देशक के लिए एक विपरीत धारा को चुनने का प्रयास है दौर में जब युवा प्रेमचंद्र और मंटो और उनके आसपास के साहित्यकारों को भूल चुके हैं और कमर्शियल सिनेमा का दौर बहुत तेजी से कल युग में पनप रहा है ऐसे वक्त में बादशाह हद का खात्मा एक मजबूत ब्यूटी ऑफ लाइफ इस फिल्म के बाद शाम को ब्यूटी ऑफ लाइफ आशीष कुमार किस फिल्म दिखाई गई इस फिल्म भारत का विश्व में हो रहे एसिड अटैक से संबंधित था आज की युवा पीढ़ी बदला लेने के इस मोड़ पर इस जानलेवा मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां उन्हें जीवन एक खिलौने के भाती लगता है और अपना बदला लेने के लिए एसिड का इस्तेमाल करना आम होता जा रहा है । Read more.....
छत्तीसगढ़ फ़िल्म एंड विसुअल आर्ट सोसाइटी के द्वारा आयोजित तीसरे रायपुर इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का आज छठवा दिन है, जिसमे आज शाम 5:30 से 6:30 तक VFX (Visual F X) की मास्टर क्लास आयोजित की गई। अतिथि के रूप में सुभाष मिश्र, रचना मिश्रा और भिलाई से VFX के एक्सपर्ट प्रोसेनजीत मजूमदार एवं सुब्रमण्यम उपस्थित थे। जिन्होंने Film Making की basic जानकारियां दी। क्लास के चलते बच्चों के मन मे सवाल और उत्साह उत्पन्न हुआ, जिससे उन्होंने यह जाना कि Film Making में इसका क्या महत्व है।
एक अच्छे कलाकार को जेम्स बांड की तरह होना चाहिए - रॉबिन दास राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से रायपुर में संचालित थियेटर एप्रिसियेशन कोर्स के प्रशिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए देश के प्रख्यात डिजाईनर, रंग-निर्देशक, पेंटर तथा अभिनेता रॉबिन दास ने कहा कि एक कलाकार को जेम्स बांड की तरह होना चाहिए । कलाकार को अपने घर परिवार, दोस्तों और समाज के साथ सरोकार रख कर रंगकर्म करना चाहिए । कलाकार के भीतर एक तड़प, छटपटाहट होनी चाहिए, उसके पास आब्जर्वेशन की दृष्टि होनी चाहिए तथा काम के प्रति पैशन, तत्परता, लगन और सर्मपणभाव होना जरूरी है । अच्छा कलाकार अपने आस पास की प्रकृति से संबंध रखते हुए साहित्य, पेंटिंग, शेरो-शायरी, किस्से-कहानी, कहावतें-मुहावरे आदि के साथ जीवंत संपर्क रखता है । यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो वो अच्छा कलाकार नहीं बन सकता । Read more.....
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